राष्ट्रीय महिला आयोग - आजकल चर्चा में क्यों? आयोग की सम्पूर्ण जानकारी NATIONAL COMMISSION FOR WOMEN
राष्ट्रीय महिला आयोग चर्चा में क्यों?
जैसा कि करोना वायरस के कारण लॉक डाउन में भारत सहित अन्य देशों में भी घरेलू हिंसा के मामले आए हैं ।राष्ट्रीय महिला आयोग (अध्यक्ष-रेखा शर्मा) के अनुसार कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडॉन के पश्चात अब तक लिंग आधारित हिंसा और घरेलू हिंसा के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है ।इसके अलावा महिलाओं की शिकायतें के प्रति पुलिस की उदासीनता के मामलों में भी लगभग तीन गुनी वृद्धि हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के साथ साइबर क्राइम की घटनाओं में अच्छी-खासी बढ़त देखने को मिली है। घरों में रहने को मजबूर अपराधी महिलाओं को ऑनलाइन ब्लैकमेल कर वसूली की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार इस प्रकार की शिकायतों में वृद्धि का मुख्य कारण यह है कि लगभग संपूर्ण पुलिस व्यवस्था देशव्यापी लॉकडॉन को लागू करने में व्यस्त है।
वह महिलाओं को सुझाव दिया है कि जागरूक होकर डिजिटल मीडिया के जरिए या हेल्पलाइन पर सरकार अथवा पुलिस तक अपनी आपबीती सुनाई इससे उनको मदद के लिए तुरंत कार्यवाही की जा सके।
भारतीय राष्ट्रीय महिला आयोग:-
भारत में महिलाओं की स्थिति पर बनी एक समिति ने तकरीबन 2 दशक पहले राष्ट्रीय महिला आयोग के गठन के सिफारिश की थी ताकि इसके माध्यम से महिलाओं की शिकायतें का निवारण कर उसके समाजिक एवं आर्थिक विकास को गति दी जा सके।राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन 31 जनवरी 1992 को महिला आयोग अधिनियम 1990 के तहत संविधानिक निकाय के रूप में किया गया ।
इस आयोग के में एक अध्यक्ष के अलावा 5 सदस्य होते हैं इसकी नियुक्ति मंत्री परिषद की सलाह पर राष्ट्रपति करते हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग के उद्देश्य:-
इसका उद्देश्य से महिलाओं को संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा को सुनिश्चित करना।उनके लिए विधायी सुझावों सिफारिश करना उनकी शिकायतों का निवारण करना तथा महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों में सरकार को सलाह देना है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की आवश्यकता क्यों पड़ी?:-
भारत में महिलाओं के प्रति होने वाली दुव्यहार अर्थात बेसहारा विधवा महिलाओं की दयनीय स्थिति तथा देश में हो रहे महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अर्थात महिला के स्वास्थ ,सुरक्षा, जीवन पर संकट, आर्थिक क्षति और ऐसी क्षति जो असहनीय हो तथा जिससे दुखी एवं अपमान सहन करना पड़े।इन सभी चीजो को रोकने के लिए यह आयोग का गठन जरुरी था वर्तमान में भी अपनी काम कर रही है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्य एवं अधिकार:-
1. आयोग के कार्यों में संविधान तथा अन्य कानूनों के अंतर्गत महिलाओं के लिए उपबंधित , सुरक्षापयो की जांच, विचार और परीक्षण करना है, साथ हीउनके प्रभावशाली कर कार्यवन के उपायों के सरकार को सिफारिश करना और संविधान तथा महिलाओं के प्रभावित करने वाले अन्य कानूनों को विद्यमान प्रधानों की समीक्षा करना है।
2.इसके अलावा संसोधन कि सिफारिश करना तथा ऐसे कानून में किसी प्रकार की कमी, आर्याप्तता अथवा कमी को दूर करने के लिए उपचारआत्मक उपाय करना।
3.भेदभाव और महिलाओं के प्रति अत्याचार के कारण उठने वाले विशिष्ट समस्याओं तथा परिस्थितियों सिफारिश करने की लिए अपराधों को पहचानना तथा महिलाओं की दशा सुधारने के लिए केंद्र एवं राज्य को सिफारिश करना हैं।
4.महिलाओं के समाजिक, आर्थिक विकास के लिए योजना बनाना ताकि उससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके।
5. बहु संख्यक महिलाओं को प्रभावित करने वाले मामलों को सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट में PiL दायर करती है।
6.महिलाओं को सभी क्षेत्रों में समयक व्यक्तित्व देने के लिए सरकार को सुझाव देना।
राष्ट्रीय महिला आयोग का महत्त्व:-
1.चूँकि यह आयोग केवल महिलाओं की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करती है जिसके कारण छोटी-छोटी कारणों को रेखांकित किया है।इसके सुझाव पर महिला थाना, महिला बैंक जैसी संस्था की स्थापना की गई अनेक कानून भी बनाए गए जैसे घरेलू हिंसा निवारण कानून।
2. राष्ट्रीय महिला आयोग के सुझाव पर ही राष्ट्रीय ऋण कोष का गठन किया गया । जिस का उद्देश गरीब महिलाओं को ऋण संबंधित आवशकता को पूर्ति करना हैं।
जेंडर बजट की स्थापना की गई तथा स्वस्थ समूह को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
3.महिलाओं से संबंधित मामलों का समाधान के लिए परिवार अदालत लोक , लोक अदालत का गठन किया गया है ।
4.मंत्रालय स्तर पर यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को परामर्श देता है और दूसरी और सामाजिक आर्थिक की योजना के अंदर ने सरकार को सुझाव देती है तथा योजन लागू करने के लिए दबाव बनाती है ।
जैसे की- जननी सुरक्षा इत्यादि।
5. इस आयोग के सुझाव पर ही राष्ट्रीय ऋण कोष का गठन किया गया जिसका उद्देश्य गरीब महिलाओं को आर्थिक सहायता एवं ऋण की आवश्यकता को पूर्ति करना है।
भारतीय राष्ट्रीय महिला आयोग के तत्वाधान में नए केंद्रीय कृत प्राधिकरण का प्रस्ताव:-
प्रिंट मीडिया के साथ-साथ डिजिटल मीडिया आदि बहुत से नए माध्यमों सोशल मीडिया में महिलाओं को आपत्तिजनक तरीके से पेश किया जाता है इस प्रदर्शन पर रोक रोक लगाने के लिए इन संशोधनों को प्रस्तावित किया गया है ।इस तरह से डिजिटल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट जो खासकर महिलाओं के लिए हो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के अंतर्गत दंड का प्रावधान किया गया है ।
इससे विज्ञापन वाली संस्था को भी इसका पालन करना होगा।
अब राष्ट्रीय महिला आयोग के नए तत्वाधान में केंद्रीय कृत प्राधिकरण का गठन किया गया।
इस प्राधिकरण के अध्यक्ष महिला आयोग के सचिव होंगे इनमें भारतीय विज्ञापन मानक परिषद, भारतीय प्रेस परिषद , सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे तथा महिला मुद्दों पर कार्य करने का अनुभव रखने वाले एक के सदस्य महिला भी आएंगे जिससे इस आयोग की स्थिति और मजबूत होगी और अपने कार्यों पर ध्यान देने में और अधिक सफल होगी।
Nice line
ReplyDelete