भारतीय संविधान और अमेरिकी संविधान में अंतर, DIFFERENCE BETWEEN INDIAN AND AMERICA CONSTITUTION
भारतीय संविधान और अमेरिकी संविधान में कुछ निम्नलिखित अंतर है :-
1. भारतीय संविधान 26 नंबर 1949 को बनकर त्यार हुआ था और 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ था , उसी तरह से अमेरिकी संविधान17 सितंबर 1787 में, संवैधानिक कन्वेंशन फिलाडेल्फिया (पेनसिलवेनिया) और ग्यारह राज्यों में सम्मेलनों की पुष्टि के द्वारा संविधान को अपनाया गया था। यह 4 मार्च 1789 को प्रभावी हुआ।
2.अमेरिकी संविधान और भारतीय संविधान दोनों का प्रस्तावना शुरुआत WE, THE PEOPLE OF........ से शुरु होता हैअर्थात संविधान जनताा ने बनााइ है।
3.अमेरिका में कांग्रेस नामक एक विधायिका गठन होंगे जिसमें दो सदन है - जिसमें निचले सदन को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स तथा उच्च सदन को सीनेट कहा जाता है ।जबकि भारत में संसद में संसद में दो सदन है जिसमें निचले सदन को लोकसभा तथा ऊपरी सदन को राज्यसभा कहा जाता है।
4.अमेरिका में लोगों के लिए दोहरी नागरिकता पाई जाती है अर्थात एक संघ के लिए और दूसरे राज्य के लिए जबकि भारत में एकल नागरिकता पाई जाती है अर्थात भारतीय
जबकि भारत में संसदीय व्यवस्था पाई जाती है जिसमें विधायिका और कार्यपालिका आपस में मिले होते हैं और न्यायपालिका पृथक होती है ।
6.अध्यक्षात्मक प्रणाली होने के कारण अमेरिका में नाम मात्र के प्रधान और वास्तविक प्रधान एक ही होते हैं अर्थात राष्ट्रपति जबकि भारत में संसदीय प्रणाली होने के कारण नाम मात्र के प्रधान राष्ट्रपति होते हैं जबकि वास्तविक प्रधान प्रधानमंत्री होते हैं।
7.अमेरिका में कार्यपालिका के कार्य काल की सुनिश्चित होती है जबकि भारत में कार्यपालिका के कार्य काल की अनिश्चितता होती है अर्थात अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसे कभी भी हटाया जा सकता है।
8.अमेरिका के लिए फेडरल शब्द का प्रयोग होता है जिसमें कई स्वतंत्र राज्य आपस ही सहमति के तहत निर्मित होती है किंतु इन राज्यों को हक नहीं है कि वह संघ से अलग हो जाए अर्थात इसे अविनाशी राज्यों का अविनाशी संगठन कहा जाता है
जबकि भारत में भी इसके लिए वर्ड UNITARY OF STATES है जिस में भी अनेक स्वतंत्र राज्य मिलकर आपस में एक संघ का निर्माण करते हैं और वे इसे भारत संघ से अलग होने का अधिकार नहीं रखते हैं।
9.अमेरिका में अध्यक्षीय प्रणाली होने के कारण वहा का शासक तानाशाही हो सकता है और विधायिका और कार्यपालिका में तनाव बनी रहती है।
जबकि भारत मे संसदीय प्रणाली से शासक कभी भी तानाशाह नही हो सकता और कार्यपालिका और विधायिका के बीच सामंजस्य होती है।
10.अमेरिका में अध्यक्षीय प्रणाली होने के कारण योग्य मंत्री परिषद का गठन होता है जबकि संसदीय प्रणाली में अयोग्य मंत्री परिषद का गठन हो सकता है अर्थात मंत्रिपरिषद में योग्य व्यक्ति का अभाव पाया जाता है।
11.अमेरिका में कार्यपालिका का प्रमुख राष्ट्रपति होगा और राष्ट्रपति का चुनाव न तो कांगे्रस करेगी न ही वह सीधे जनता से चुनकर आएगा। उसके निर्वाचन के लिए एक अलग निर्वाचक-मंडल बनाया जाएगा जिसमें सम्मिलित निर्वाचकों का चुनाव राज्यों की विधायिकाओं द्वारा निर्धारित पद्धति के अनुसार होग अर्थात राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया काफी जटिल है ।
जबकि भारत में यह सरल होती हैं और प्रधानमंत्री लोकसभा के अध्यक्ष होता हैं।
12. अमेरिका के संविधान में शुरुआती दौर में वहां पर महिलाओं को वोट का अधिकार नहीं दिया गया था जबकि कुलीन तंत्र का भी दबदबा था जिसे लगभग 15 में संशोधन के बाद सुधार किया गया था।
जबकि भारत में संविधान निर्माण के समय से ही समानता का अधिकार के साथ-साथ वोट देने का भी अधिकार सभी को है।
13.अमेरिका में किसी भी विषय पर विचार करने के लिए संघ के साथ-साथ राज्य भी अधिक स्वतंत्र होती है
जबकि भारत में संघ और राज्य के बीच किसी बिल पर मतभेद होने पर संघ का प्रस्ताव पारित होता है अर्थात भारत में संघ की शक्ति अधिक होती है।
14.अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 साल का होता है जबकि भारत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
15.अमेरिका के सीनेट में समानता के तहत प्रत्येक राज्य से 2-2 सीनेटर का चुनाव किया जाता है और जिसकी कार्यकाल 6 साल की होती है और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में राज्यों से जनसंख्या के आधार पर सदस्य चुने जाते हैं जिसकी चुनाव प्रत्येक 2 साल पर होती है
जबकि भारत में राज्यसभा स्थाई सदन है जिसके सदस्यों का का कार्यकाल 6 साल के लिए होते हैं और लोकसभा के कार्यकाल 5 साल के लिए होता है।
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