भारत का महान्यायवादी (एटर्नी जनरल आफ इंडिया) ATTORNEY GENERAL OF INDIA.
भारत का महान्यायवादी
◆◆ इसके लिए पद का सृजन भारत के संविधान में आर्टिकल 76 में किया गया है तथा इसी के समान राज्य में महाधिवक्ता होती है उसके लिए पद का सृजन आर्टिकल 123 में किया गया है
◆ भारत सरकार का वकील है ।
भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी माना जाता है ।
◆संविधान के अनुच्छेद 76 में महान्यायवादी पद से संबंधित प्रावधान है।
◆ ईसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है प्रधानमंत्री की सलाह पर।
◆योग्यताएं सुप्रीम कोर्ट के जज बनने की योग्यता महान्यायवादी रखता है।
◆कार्यकाल यह राष्ट्रपति के प्रसाद पर यंत्र पद धारण करता है। राष्ट्रपति जब चाहे मंत्रिपरिषद की सलाह पर इसे हटा सकता है।
◆कार्य इसका कार्य विभिन्न न्यायालयों में भारत सरकार का पक्ष रखना है तथा कानूनी मामलों में भारत सरकार को सलाह देना है
◆वेतन- संविधान के अनुसार इसे वहीं परिश्रमिक या मानदेय दिया जाएगा जो राष्ट्रपति समय-समय पर निर्धारित करेगा ।
राष्ट्रपति ने आदेश जारी करके या निर्धारित किया है कि महान्यायवादी को सुप्रीम कोर्ट के जज के वेतन के बराबर मानदेय दिया जाएगा।
महान्यायवादी के बारे में अब अन्य मुख्य बातें:-
◆◆ भारत में एकमात्र महान्यायवादी वह अधिकारी है जिसे मानदेय मिलता है जबकि अन्य सबको वेतन मिलता है क्योंकि महान्यायवादी के वेतन की जगह retainer शब्द का प्रयोग किया गया है।
◆महान्यायवादी एकमात्र अधिकारी है जिसे संसद में भाग लेने तथा बोलने का अधिकार है लेकिन मत देने का अधिकार नहीं है।
◆महान्यायवादी को सभी न्यायालयों में सुने जाने का अधिकार है भारत में ऐसी शक्ति किसी अन्य अधिकारी को प्राप्त नहीं है सिवाय महान्यायवादी के अलावा।
◆महान्यायवादी कभी भी भारत सरकार के विरुद्ध कोई केस नहीं लड़ सकता है नहीं कानूनी सलाह दे सकता है
लेकिन वह चाहे तो अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकता है ।
◆जब एक लोकसभा में बैठता है तो यह सत्ताधारी पक्ष के तरफ से बैठेगा।
भारत के निम्नलिखित महान्यायवादी है या थे
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