राफेल, भारत को नही मिलेंगे मई महीने में, फ्रांस ने बताया ये कारण...
फ़्रांस से भारत को मिलने वाली चार नए राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट (Rafale Fighter Aircraft) के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।
पहले इन एयरक्राफ्ट को मई में भारत पहुंचना था लेकिन अब फ्रांस के मेरिनाक में रफाल की फैक्टरी में कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन से कामकाज ठप पड़ा है।
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राफेल दुनिया के सबसे अच्छा फाईटर एयरक्राफ्ट में गिना जाता है. ये 1913 किमी प्रति घंटे यानि आवाज की रफ्तार से लगभग दुगनी रफ्तार से चल सकता है. इससे 560 किमी दूर से ही स्कल्प मिसाइल के जरिए दुश्मन के किसी ठिकाने को तबाह किया जा सकता है. हवा में किसी दुश्मन एयरक्राफ्ट को तबाह करने के लिए इसमें मीटिओर मिसाइल लगी है जिसकी रेंज 100 किमी से ज्यादा है।
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भारत ने 2019 अक्टूबर में राफेल एयरक्राफ्ट को फ्रांस की मेरीनाक फैक्टरी में अधिकारिक तौर पर लिया था।
कार्यक्रम के मुताबिक 4 एयरक्राफ्ट मई तक हरियाणा के अंबाला एयरबेस पहुंचने थे जिन्हें वहां भारतीय वायुसेना की नंबर 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल किया जाना था।
भारत ने फ्रांस से 36 राफेल एयरक्राफ्ट खरीदा है. इनसे वायुसेना की दो स्क्वाड्रन बनाई जाएंगी जिन्हें पश्चिम में अंबाला के अलावा पूर्व में जोरहाट एयरबेस में तैनात किए जाने की संभावना है.
पहले इन एयरक्राफ्ट को मई में भारत पहुंचना था लेकिन अब फ्रांस के मेरिनाक में रफाल की फैक्टरी में कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन से कामकाज ठप पड़ा है।
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राफेल दुनिया के सबसे अच्छा फाईटर एयरक्राफ्ट में गिना जाता है. ये 1913 किमी प्रति घंटे यानि आवाज की रफ्तार से लगभग दुगनी रफ्तार से चल सकता है. इससे 560 किमी दूर से ही स्कल्प मिसाइल के जरिए दुश्मन के किसी ठिकाने को तबाह किया जा सकता है. हवा में किसी दुश्मन एयरक्राफ्ट को तबाह करने के लिए इसमें मीटिओर मिसाइल लगी है जिसकी रेंज 100 किमी से ज्यादा है।
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कार्यक्रम के मुताबिक 4 एयरक्राफ्ट मई तक हरियाणा के अंबाला एयरबेस पहुंचने थे जिन्हें वहां भारतीय वायुसेना की नंबर 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल किया जाना था।
भारत ने फ्रांस से 36 राफेल एयरक्राफ्ट खरीदा है. इनसे वायुसेना की दो स्क्वाड्रन बनाई जाएंगी जिन्हें पश्चिम में अंबाला के अलावा पूर्व में जोरहाट एयरबेस में तैनात किए जाने की संभावना है.
भारतीय वायुसेना फाइटर एयरक्राफ्ट की कमी से जूझ रही है. पाकिस्तान और चीन को दोहरे मोर्चे पर मुकाबला करने के लिए वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की मंजूरी है लेकिन अब वायुसेना के पास 30 से भी कम फाइटर स्क्वाड्रन बची हैं।
इनमें सुखोई 30, मिराज-2000 और मिग-29 जैसे नए फाइटर के साथ-साथ जेगुआर और मिग-21 की स्क्वाड्रन भी हैं जो चार दशक पुराने हो चुके हैं. वायुसेना ने स्वदेशी तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट को भी शामिल करना शुरू किया है लेकिन इनकी क्षमता सीमित है.
इनमें सुखोई 30, मिराज-2000 और मिग-29 जैसे नए फाइटर के साथ-साथ जेगुआर और मिग-21 की स्क्वाड्रन भी हैं जो चार दशक पुराने हो चुके हैं. वायुसेना ने स्वदेशी तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट को भी शामिल करना शुरू किया है लेकिन इनकी क्षमता सीमित है.
कोरोना के लॉकडाउन के कारण फ्रांस में सब कामकाज ठप है इसलिए अब इन एयरक्राफ्ट के भारत आने में देरी हो रही है. अभी फ्रांस में लॉकडाउन खुलने के कोई संकेत नहीं मिले हैं इसलिए अगले दो महीने तक एयरक्राफ्ट के आने की कोई संभावना नहीं है।
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