ब्रिटिश शासन के अंतर्गत स्थानीय स्वायत्त शासन के विकास
ब्रिटिश शासन के अंतर्गत स्थानीय स्वायत्त शासन के विकास:- भारत में स्थानीय स्वशासन का सदैव रहा है । भारत के प्राचीन और मध्ययुगीन इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में स्थानीय स्वशासन की एक लंबी परंपरा रही थी किंतु वर्तमान में जो स्थानीय स्वायत्त शासन पद्धति दिखती है उसका आरंभिक विकास ब्रिटिश शासन के अंतर्गत हुआ यद्यपि इस काल में स्थानीय स्वशासन का विकास तत्कालिक आर्थिक और राजनीतिक दबाव का परिणाम था। सबसे पहले 1687 में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने प्रेसिडेंसी नगरों में नगर निगम की स्थापना की अनुशंसा की , फिर 1793 के अधिनियम में पहली बार स्थानीय स्वायत्त शासन के स्थापना की मान्यता प्रदान की गई थी तथा उन नगरों में जस्टिस ऑफ peace की नीति की अनुशंसा की गई थी। तथा 1842 में पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वायत्त संस्थान की स्थापना पर बल दिया गया किंतु वास्तविक रूप में स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना के लिए गंभीर प्रयास उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ। लॉर्ड मेयो के काल में इस समय इस दिशा में एक व्यापक पहल देती है 1861 के अधिनियम में विकेंद्रीकरण किया आरंभ हुई थी