ब्रिटिश शासन के अंतर्गत स्थानीय स्वायत्त शासन के विकास:- भारत में स्थानीय स्वशासन का सदैव रहा है । भारत के प्राचीन और मध्ययुगीन इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में स्थानीय स्वशासन की एक लंबी परंपरा रही थी किंतु वर्तमान में जो स्थानीय स्वायत्त शासन पद्धति दिखती है उसका आरंभिक विकास ब्रिटिश शासन के अंतर्गत हुआ यद्यपि इस काल में स्थानीय स्वशासन का विकास तत्कालिक आर्थिक और राजनीतिक दबाव का परिणाम था। सबसे पहले 1687 में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने प्रेसिडेंसी नगरों में नगर निगम की स्थापना की अनुशंसा की , फिर 1793 के अधिनियम में पहली बार स्थानीय स्वायत्त शासन के स्थापना की मान्यता प्रदान की गई थी तथा उन नगरों में जस्टिस ऑफ peace की नीति की अनुशंसा की गई थी। तथा 1842 में पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वायत्त संस्थान की स्थापना पर बल दिया गया किंतु वास्तविक रूप में स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना के लिए गंभीर प्रयास उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ। लॉर्ड मेयो के काल में इस समय इस दिशा में एक व्यापक पहल देती है 1861 के अधिनियम में विकेंद्रीकरण किया आरंभ हुई थी
भारतीय संविधान और अमेरिकी संविधान में कुछ निम्नलिखित अंतर है :- 1. भारतीय संविधान 26 नंबर 1949 को बनकर त्यार हुआ था और 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ था , उसी तरह से अमेरिकी संविधान17 सितंबर 1787 में, संवैधानिक कन्वेंशन फिलाडेल्फिया (पेनसिलवेनिया) और ग्यारह राज्यों में सम्मेलनों की पुष्टि के द्वारा संविधान को अपनाया गया था। यह 4 मार्च 1789 को प्रभावी हुआ। 2. अमेरिकी संविधान और भारतीय संविधान दोनों का प्रस्तावना शुरुआत WE, THE PEOPLE OF........ से शुरु होता हैअर्थात संविधान जनताा ने बनााइ है। 3. अमेरिका में कांग्रेस नामक एक विधायिका गठन होंगे जिसमें दो सदन है - जिसमें निचले सदन को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स तथा उच्च सदन को सीनेट कहा जाता है ।जबकि भारत में संसद में संसद में दो सदन है जिसमें निचले सदन को लोकसभा तथा ऊपरी सदन को राज्यसभा कहा जाता है। 4. अमेरिका में लोगों के लिए दोहरी नागरिकता पाई जाती है अर्थात एक संघ के लिए और दूसरे राज्य के लिए जबकि भारत में एकल नागरिकता पाई जाती है अर्थात भारतीय 5. अमेरिका में एक अध्यक्षतमक लोकतंत्र है जहां पर विधायिका, कार्यपालिक
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की , यह रामायण है पुण्य कथा श्री राम की----- -2 जम्बू द्वीपे ,भरत खंडे , आर्यावर्ते , भरत वर्षे , एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की। ये ही जन्म भूमि है परम पूज्य श्री राम की ... हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की, यह रामायण है पुण्य कथा श्री राम की, यह रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।। रघुकुल के राजा धर्मात्मा ,चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा ; संतति हेतु यज्ञ करवाया , धर्म यज्ञ का शुभ फल पाया ..... नृप घर जन्मे चार कुमारा ,रघुकुल दीप जगत आधारा ; चारों भ्रतोंके शुभ नाम : भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण रामा... गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल जाके अल्प काल विद्या सब पाके , पूरण हुयी शिक्षा रघुवर पूरण काम की ..... यह रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।। विश्वामित्र महामुनि राई , इनके संग चले दोउ भाई ; कैसे राम तड़का मारी ,कैसे नाथ अहिल्या तारी ; मुनिवर विश्वामित्र तब संग ले लक्ष्मण , राम ; सिया स्वयंवर देखने पहुंचे मिथिला धाम ........ जनकपुर उत्सव है भारी ,जनकपुर उत्सव है भारी .... अपने वर का चयन करेगी सीता सुकुमारी ..... जनक राज का कठिन प्राण
प्लासी का युद्ध, पलासी के युद्ध का कारण का विश्लेषण तथा युद्ध के प्रभाव का आकलन। यह 23 जून 1757 को बंगाल के प्लासी के मैदान में हुआ था। प्लासी के युद्ध के कारणों का विश्लेषण:- 18 वीं सदी की शुरुआत में ही कंपनी और बंगाल के नवाब का टकराव काफी बढ़ गया था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद बंगाल के नवाब अपनी ताकत दिखाने लगे थे। मुर्शीद कुली खान के बाद अल्वर्दी खान और उसके बाद सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब बने, यह सभी शक्तिशाली शासक थे उन्होंने कंपनी को रियायतें देने से मना कर दिया तथा अन्य ऐसे कारण उत्पन्न हुए जिससे कंपनी व्यापार से युद्ध तक पहुंची। इसी में एक महत्वपूर्ण प्लासी का युद्ध हुआ। प्लासी युद्ध इनके निम्नलिखित कारण है:- 1. दस्तक का दुरुपयोग:- मुगल सम्राट फरुखसियर ने ब्रिटिश कंपनी को व्यापार के लिए बंगाल में कर मुक्त कर दिया , इससे भारतीय व्यापारी तथा कंपनी के व्यापारियों के बीच काफी आसमानता आ गया। मुर्शिद कुली खान के काल से ही दस्तक के दुरुपयोग के मुद्दे पर नवाब तथा कंपनी के बीच मतभेद थे। दस्तक का दुरुपयोग 2 तरीके से होता था:- i. इसका प्रयोग ब्रिटिश कंपनी के
प्रतिभाशाली युवाओं को आर्मी की तरफ आकर्षित करने के लिए Indian Army एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इसमें युवाओं को केवल तीन साल के लिए सेना में काम करना होगा और इसके बाद वो वापस दूसरे करियर में जा सकते हैं. अभी किसी अफसर को कम से कम 10 साल तक सेना में काम करना होता है. इसे टूर-टू ड्यूटी (Tour to Duty) नाम दिया गया है. सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और इससे सेना में अच्छे युवाओं को आने का मौका मिलेगा. तीन साल के बाद सेना छोड़ने पर उन्हें पेंशन तो नहीं मिलेगी लेकिन कई दूसरे लाभ मिलेंगे जिनमें भविष्य के करियर के लिए प्रशंसापत्र भी शामिल होंगे. इसमें पुरुष और महिला दोनों को ही मौका मिलेगा. साथ ही सेना के ऊपर आर्थिक बोझ भी कम पड़ेगा. सेना में लंबे अरसे से अफसरों की कमी है क्योंकि युवा सेना में जाना तो चाहते हैं लेकिन बहुत लंबे समय तक सेना में काम करने से कतराते हैं इस पर सेना के आला अधिकारी विस्तार से चर्चा कर चुके हैं. संभावना है कि कुछ ही महीनों में इसे अंतिम रूप से दिया जाएगा. यानि युवाओं को सेना के रोमांच का अ
भारत सरकार द्वारा 2020 में जारी किया किया नवीनतम मानचित्र:- HINDI में देखे - click here SANSKRIT में देखे - click here Outline map of india - click here
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया, आइये जानते हैं वित्त मंत्री ने अपने भाषण में क्या-क्या कहा है... लोकल ब्रांड को ग्लोबल पहचान दिलाना है. जनधन, आधार और मोबाइल से गरीब तबकों को बड़ी राहत मिली है।।. सेनीटाइजर का साइड इफेक्ट जा नेclick here डीबीटी के जरिए लोगों के खाते में सीधे पैसे पहुंच रहे हैं, किसी को बैंक तक जाने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है. उज्जवला योजना से महिलाओं को मुफ्त में गैस कनेक्शन मिला है. आरबीआई ने लोन में मध्यम वर्ग को राहत दी है. 30% लोन लेने वाले ग्राहकों ने अप्रैल में मॉरिटोरियम लिया सरकार पहले ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा कर दी है. 41 करोड़ बैंक खातों में 43 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं. 71738 मीट्रिक टन दाल वितरित की गई है. 18 हजार करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड करदाताओं को दिया गया है. इससे 14 हजार करोड़ करदाताओं को लाभ मिलेगा. कुटीर लघु उद्योग के लिए छह कदम उठाने की सरकार ने की घोषणा. MSME के लिए 3 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान कुटीर उद्योगों को बिना गिरवी के लोन
अनलॉक-1 के बाद विश्वविद्यालयों में अब एक जुलाई से पहले ही परीक्षाएं कराने को लेकर हलचल तेज हो गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फिलहाल इसे लेकर विश्वविद्यालयों को फ्री-हैंड दे दिया है। यानी अब वह कोविड-19 के संक्रमण की स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए अपने स्तर पर परीक्षाएं कराने का प्लान तैयार कर सकेंगे। यह एक जुलाई से पहले भी हो सकता है और जुलाई के बाद भी हो सकता है। परामर्श से ही कोई फैसला Read more below मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित कई राज्यों में विश्वविद्यालयों ने जून से ही परीक्षाएं शुरू करने का प्लान यूजीसी और राज्य सरकार को दिया है। हालांकि यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों से इस मुद्दे पर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के परामर्श से ही कोई भी निर्णय करने को कहा है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रखने को कहा यूजीसी के चेयरमैन डॉ. डीपी सिंह के मुताबिक जो एकेडमिक कैलेंडर जारी किया गया था, वह तात्कालिक परिस्थितियों के आकलन के आधार पर तैयार किया गया था। साथ ही इनमें जो भी कहा गया था, वह एक सुझाव था। अब जब अनलाक-1 के बाद सारी गतिविधियां एक-एक कर शुरू हो गई हैं,
भारत में अंग्रेजों की भू राजस्व नीति:- पृष्ठभूमि - भारत में ब्रिटिश भू राजस्व नीति आवश्यक रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक हित से परचलित होती रही है। उसके लिए भारत में कृषि का विकास अथवा किसानों का सुरक्षा महज एक द्वितीय उद्देश्य था , इस का प्राथमिक उद्देश्य अधिकतम रूप से भू राजस्व की वसूली थी। कुछ ब्रिटिश पक्षधर विद्वानों ने राजस्व वसूली स्थाई बंदोबस्त ,रैयतवारी व्यवस्था, महालवाड़ी व्यवस्था उपर्युक्त तीनों अतिथियों के विकास में विचारधारा की भूमिक को निर्णायक करार दिया है किंतु परीक्षण करने पर यह ज्ञात होता है कि इसके विकास विचारधारा की तुलना में भौतिक अभिप्रेरणा अधिक निर्णायक सिद्ध हुई थी। स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था:- ◆◆ इसे 1793 में कर्नवालिश के द्वारा लागू किया गया था।◆◆यह बंगाल ,उत्तर प्रदेश ,बनारस ,उत्तर कर्नाटक में लागू हुआ था। ◆◆ यह समस्त ब्रिटिश भारत के 19% भूमि पर लगा हुआ था। ◆◆भूमि का अधिग्रहण सदैव जमींदार को होता था इसके विकास में फ्रांसीसी प्रकृति तंत्रवादियों का प्रभाव बताया जाता है तथा ऐसा माना जाता है कि उपर्युक्त दृष्टिकोण से परिचालित होकर लार्ड कार्नवालिस न
दबाव समूह :- यह ऐसे ही समूह है जो अपने हितों की रक्षा और वृद्धि के लिए राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्रियाओं को प्रभावित करता है अर्थात जो सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके कुछ विशेष हितों को सुरक्षित करने के लिए काम करता है । वे कभी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं परंतु यह शक्तिशाली समूह है। इस तरह से यह समूह प्रशासनिक संरचना से बाहर रहकर केवल प्रभाव या दबाव डालकरअपने हितों की सिद्धी करता है। जैसे मजदूर संघ, व्यापारी संघ, विद्यार्थी संघ, एबीवीपी ,आर एस एस आदि। लोकतंत्र में दबाव समूह की भूमिका:- 1 . दबाव समूह मतदाताओं को शिक्षित और सूचित भी करते हैं और इस प्रकार वे राजनीतिक शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। 2. दबाव समूह विभिन्न समुदायों की मांगों और हितों की प्रतिनिधित्व करते हैं और इसलिए भारत जैसे एक बहुलवादी राष्ट्र के एक महत्वपूर्ण अंग भी है । यह समूह लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। 3. लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य को प्राप्त करने में यह दबाव समूह महत्वपूर्ण भ
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDelete