मौलिक अधिकार क्या है और क्यों जरूरी है? Fundamental rights
मौलिक अधिकार क्या है और क्यों जरूरी है?
मौलिक अधिकार वे है अधिकार हैं जो किसी व्यक्ति के भौतिक था नैतिक उत्थान के लिए जरूरी होता है औऱ जिसे संविधान से संरक्षण प्राप्त हो।
क्यों जरूरी था मौलिक अधिकार?
अत्याचार रोकने , लोकतंत्र व्यवस्था को साफल बनाने, सरकार को निरंकुश के रोकने के लिए मौलिक अधिकार जरूरी था।
भारतीय संविधान के भाग-3 में अनुछेद 12 से 35 तक है।
Note* भाग-3 जिसमें अनुच्छेद12 से 35 तक हैं उसमें अनुच्छेद 12, 13, 31, 33, 34, 35 ये 6 एसे अनुच्छेद है जो मौलिक अधिकार नही देता है
अर्थात भाग-3 के 24 अनुच्छेद में से केववल 18 अनुच्छेद ही अधिकार की बात करता हैं।
*मौलिक अधिकार को मैग्ना कार्टा कहते हैं क्योंकि 1215ई0 में ब्रिटेन में सबसे पहले एक अधिकार पत्र आया था जिसे मैग्ना कार्टा कहा गया था अथार्त जहां भी कोई अधिकार देने की बात होती है उसे मैग्ना कार्टा से ही जाना जाता हैं।
** अधिकार भी कई तरह के होता है जैसे कि संविधानीक अधिकार, विधिक अधिकार, कानूनी अधिकार , मानवाधिकार आदि।
परंतु भाग 3 में मौलिक अधिकार है।
** मौलिक अधिकार को - राज्य प्रदत्त अधिकार कहते है या संविधान से संरक्षित है तथा न्यायालय द्वारा प्रवर्तिनीय हैं।
**मौलिक अधिकार के प्रकार:-
1.समानता का अधिकार (अनु14-18)
2.स्वतंत्रता का अधिकार (अनु19-22)
3. शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनु 24&24)
4.धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनु 25-28)
5. शैक्षणिक और संस्कृतिक संरक्षण का अधिकार (अनु 29&30)
6. संविधानिक उपचार का अधिकार (अनु 32)
- अनुच्छेद-32 को ही बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने "संविधान का आत्मा" कहे है।