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Showing posts from April, 2020

प्लासी का युद्ध, पलासी के युद्ध का कारण का विश्लेषण तथा युद्ध के प्रभाव, BATTLE OF PLASHI

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प्लासी का युद्ध, पलासी के युद्ध का कारण का विश्लेषण तथा युद्ध के प्रभाव का आकलन। यह 23 जून 1757 को बंगाल के प्लासी के मैदान में हुआ था।  प्लासी के युद्ध के कारणों का विश्लेषण:- 18 वीं सदी की शुरुआत में ही कंपनी और बंगाल के नवाब का टकराव काफी बढ़ गया था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद बंगाल के नवाब अपनी ताकत दिखाने लगे थे। मुर्शीद कुली खान के बाद अल्वर्दी खान और उसके बाद सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब बने, यह सभी शक्तिशाली शासक थे उन्होंने कंपनी को रियायतें देने से मना कर दिया तथा अन्य ऐसे कारण उत्पन्न हुए जिससे कंपनी व्यापार से युद्ध तक पहुंची। इसी में एक महत्वपूर्ण प्लासी का युद्ध हुआ।   प्लासी युद्ध इनके निम्नलिखित कारण है:-  1. दस्तक का दुरुपयोग:-   मुगल सम्राट फरुखसियर ने ब्रिटिश कंपनी को व्यापार के लिए बंगाल में कर मुक्त कर दिया , इससे भारतीय व्यापारी तथा कंपनी के व्यापारियों के बीच काफी आसमानता आ गया।  मुर्शिद कुली खान  के काल  से ही दस्तक के दुरुपयोग के मुद्दे पर नवाब तथा कंपनी के बीच मतभेद  थे।   दस्तक का दुरुपयोग 2 तरीके से होता था:- i. इसका प्रयोग ब्रिटिश कंपनी के

साकार हो रही ग्राम स्वराज की परिकल्पना

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साकार हो रही ग्राम स्वराज की परिकल्पना:-              महात्मा गांधी ग्राम पंचायत को पुनर्जीवित करना चाहते थे ताकि जमीनी स्तर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र को सुनिश्चित किया जा सके गांधीजी के अनुसार ग्राम स्वराज के मूल सिद्धांत ट्रस्टीशिप,  स्वदेशी , पूर्ण रोजगार ,स्वालंबन ,विकेंद्रीकरण, समानता, आत्मपर्याप्त , तथा नई तालीम आदि है                   ग्राम स्वराज का विचार एक पूर्ण गणतंत्र का विचार है जो अपनी अनिवार्य इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने आसपास के वातावरण से स्वतंत्र है तथापि ऐसे मामलों में अन्य आश्रित भी है इससे निर्भरता की आवश्यकता होती है इस प्रकार प्रत्येक गांव की पहला व्यवसाय अपनी स्वयं की खाद एवं वस्त्र की और सकता ओं को पूरा करना है जिसके लिए उन्हें अपनी खाद्य फसलों और कपड़ों के लिए सूट काटना चाहिए *◆ महात्मा गांधी के इस तथ्य से सचेत थे कि औद्योगिकरण विकेंद्रीकरण ग्रामीण उद्योगों को नष्ट कर भारतीय समाज को छतिग्रस्त कर देगा व ग्रामीण लोगों के जीवन में खुशहाली लाने का एकमात्र उपाय आर्थिक कार्यक्रम में गांव की भूमिका का बढ़ा हुआ मानदेय थे स्वतंत्रता के बाद भारत में ग्रामीण क

कोरोना संकट के बीच क्या है भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतीया ??

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कोरोना संकट के बीच क्या है भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतीया ?? देश में कोरोना वाइरस संक्रमित मरीजो की संख्या लगातार बढ़ रही है इससे न सिर्फ लोगों की जान जा रही है बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ रहा है। loading... इससे ऑटोमोबाइल उधोग, पर्यटन, शेयर बाज़ार और दवा कंपनियों सहित कई  सेक्टर प्रभावित हो रही है। कोरोना वाइरस के संक्रमण की वजह से जिस वक्त देश मे लाखो लोगों घरों में है इसी वैश्विक संकट के बीच भारतीय परिदृश्य में आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे अधिक चर्चा में दो पहलुओं पर हो रही है:- पहला भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर आबादी यानी किसान , असंगठित छेत्र में काम करने वाले मजदूरों, दैनिक मजदूरी के लिये शहर में पलायन करने वाले मजदूरों और शहर में सरको के किनारे छोटा-मोटा व्यापार करके आजीविका चलाने वाले लोग हैं।          दूसरा , भारतिय अर्थव्यवस्था में उत्पादन करने वाले  यानी वह छेत्र जो इस देश मे पूंजी और गैर-पूंजी वस्तुओं का उत्पादन करता हैं . सामान्य भाषा मे कहे तो मैनुफैक्चरिंग सेक्टर या बिजिनेस सेक्टर। सरकार ने अपने देस में स्थिति से निपटने के लिये बड़े राहत

मौलिक अधिकार क्या है और क्यों जरूरी है? Fundamental rights

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मौलिक अधिकार क्या है और क्यों जरूरी है? मौलिक अधिकार वे है अधिकार हैं जो किसी व्यक्ति के भौतिक था नैतिक उत्थान के लिए जरूरी होता है औऱ जिसे संविधान से संरक्षण प्राप्त हो। क्यों जरूरी था मौलिक अधिकार? अत्याचार रोकने , लोकतंत्र व्यवस्था को साफल बनाने, सरकार को निरंकुश  के रोकने के लिए मौलिक अधिकार जरूरी था। भारतीय संविधान के भाग-3 में अनुछेद 12 से 35 तक है। Note*  भाग-3  जिसमें अनुच्छेद12 से 35 तक हैं  उसमें अनुच्छेद 12, 13, 31, 33, 34, 35  ये 6 एसे अनुच्छेद है जो मौलिक अधिकार नही देता है  अर्थात भाग-3 के 24 अनुच्छेद में से केववल 18 अनुच्छेद ही अधिकार की बात करता हैं। * मौलिक अधिकार को  मैग्ना कार्टा कहते हैं क्योंकि 1215ई0 में ब्रिटेन में सबसे पहले एक अधिकार पत्र आया था जिसे मैग्ना कार्टा कहा गया था अथार्त जहां भी कोई अधिकार देने की बात होती है उसे मैग्ना कार्टा से ही जाना जाता हैं। ** अधिकार भी कई तरह के होता है जैसे कि संविधानीक अधिकार, विधिक अधिकार, कानूनी अधिकार , मानवाधिकार आदि।  परंतु भाग 3 में मौलिक अधिकार है। ** मौलिक अधिकार को - राज्य प्रदत